Friday, 12 October 2012

माँ काली

 



तारे जब छिप गए,
बादल पर बादल छाये ,
केवल है सन्नाटा, अन्धकार व गूँज .
गरजते चक्रवातों में सन्निहित,  
आत्माए कोटिशः उन्मत्तों की ,
मुक्त अभी
जो कारावास से ,  
उखाड़ फेंकती वृक्ष समूल ,
 पथ पर हो भीषण संहार  
सागर भी है युद्ध में शामिल,  
उमड़ाता गिरि  चुम्बित लहरें ,
छूने को श्यामल  आकाश .  
चमक भयावह प्रकाश की
छा जाती हर ओर,  
सहस्त्र सहस्त्र साए
मृत्यु के,-
दुखद और घनश्याम ,-  
फैलाते दुःख  व  रोग ,
मस्ती में झूमें  हो पागल,
आओ माँ ,
आओ !
भय
ही तेरा नाम ,  
मृत्यु है तेरी श्वांस,
हर एक कम्पित पग ,
करता शाश्वत संहार .
तू काल,
तू सर्व नाशिनी !
आओ माँ ,
आओ ! जो सह जाता दारुण  प्रेम ,
करता मृत्यु का आलिंगन ,
नृत्य करे नाश लीला में ,
मिले उसे ही माँ का अंक .


1 comment:

  1. mother goddes kaalee who is ever steeped in usurping evil energies for redeeming her devotees from fears of both of the worlds..kleem krishnaye namah..kleem kleem kleem kleem kleem kleem

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