तारे जब छिप गए,
बादल पर बादल छाये ,
केवल है सन्नाटा, अन्धकार व गूँज .
गरजते चक्रवातों में सन्निहित,
आत्माए कोटिशः उन्मत्तों की ,
मुक्त अभी
जो कारावास से ,
उखाड़ फेंकती वृक्ष समूल ,
पथ पर हो भीषण संहार
सागर भी है युद्ध में शामिल,
उमड़ाता गिरि चुम्बित लहरें ,
छूने को श्यामल आकाश .
चमक भयावह प्रकाश की
छा जाती हर ओर,
सहस्त्र सहस्त्र साए
मृत्यु के,-
दुखद और घनश्याम ,-
फैलाते दुःख व रोग ,
मस्ती में झूमें हो पागल,
आओ माँ ,
आओ !
भय
ही तेरा नाम ,
मृत्यु है तेरी श्वांस,
हर एक कम्पित पग ,
करता शाश्वत संहार .
तू काल,
तू सर्व नाशिनी !
आओ माँ ,
आओ ! जो सह जाता दारुण प्रेम ,
करता मृत्यु का आलिंगन ,
नृत्य करे नाश लीला में ,
मिले उसे ही माँ का अंक .
mother goddes kaalee who is ever steeped in usurping evil energies for redeeming her devotees from fears of both of the worlds..kleem krishnaye namah..kleem kleem kleem kleem kleem kleem
ReplyDelete